प्रशांत महासागर के नितल उच्चावच – यह विश्व का सबसे बड़ा और गहरा महासागर है इसका क्षेत्रफल 16,57,23,740 वर्ग किमी हैl जो पृथ्वी के कुल क्षेत्रफल का 1/3 भाग हैl इस प्रकार विशाल महासागर का क्षेत्रफल पृथ्वी के कुल स्थलीय भाग से भी अधिक हैl भूमध्य रेखा पर इसकी लंबाई 16,000 किमी हैl उत्तर से दक्षिण की ओर बेरिंग जलडमरूमध्य से लेकर दक्षिण में अंटार्कटिका महाद्वीप की अडारे अंतरीप तक इसकी चौड़ाई 14,880 किमी हैl इसकी आकृति एक त्रिभुज जैसी है जिसका शीर्ष बेरिंग जलडमरूमध्य पर तथा आधार अंटार्कटिका महाद्वीप पर हैl इसकी पश्चिमी सीमा एशिया एवं ऑस्ट्रेलिया तथा इसके मध्यवर्ती दीपमाला द्वारा और पूर्व सीमा उत्तर तथा दक्षिण अमेरिका द्वारा निर्धारित की जाती हैl प्रशांत महासागर के नितल उच्चावच का वर्णन दिया है
नितल – प्रशांत महासागर में महाद्वीपीय मग्नतट का विकास अधिक नहीं हैl इस महासागर का केवल 7 % भाग ही 1000 मी से कम गहरा हैl जबकि अधिकांश भाग 5000 मी से अधिक गहरे है इस प्रकार इसके गंभीर सागरीय मैदान की गहराई अन्य महासागरों के गंभीर मैदान से कहीं अधिक है महाद्वीपीय ढाल का कोण बहुत अधिक हैl प्रशांत महासागर की औसत गहराई 8000 मी हैl
महाद्वीपीय मग्नतट – प्रशांत महासागर के पूर्व तथा पश्चिमी तटों के सहारे मग्नतटो में पर्याप्त अंतर पाया जाता है पश्चिमी तट अर्थात एशिया के पूर्व तक तथा ऑस्ट्रेलिया के पूर्व तट के सहारे मग्नतट अत्यंत विस्तृत पाए जाते हैंl इनकी औसत चौड़ाई 160 से 1600 किमी तथा गहराई 1000 से 2000 मीटर पाई जाती हैl इन विस्तृत मग्नतटो पर असंख्य द्वीप ( क्यूराइल्स, जापान द्वीप, फिलीपाइन्स, इंडोनेशिया, न्यूज़ीलैंड आदि ) तथा कई आंतरिक और सीमांत सागर ( बेरिंग सागर, ओखोटस्क सागर, जापान सागर, पीत सागर, चीन सागर, जावा सागर आदि ) पाए जाते हैंl प्रशांत महासागर के पूर्व या अमेरिका के पश्चिम तट पर पर्वतीय मेखलाओं के कारण मग्नतट कम विस्तृत पाए जाते हैंl इनकी औसत चौड़ाई 80 किमी तक होती हैl
कटक – प्रशांत महासागर अन्य महासागर तथा हिंद महासागर से भिन्न है क्योंकि इसके मध्य कोई कटक नहीं है इस महासागर के पूर्वी भाग में यत्र तत्र तथा कुछ कटक पाए जाती है और इसके मध्य में उभार है सबसे महत्वपूर्ण प्रशांत महासागरीय कटक है जिसे अलबट्रास पठार के नाम से भी जाना जाता हैl 1600 किमी की चौड़ाई में विस्तृत है 23° से 35° दक्षिणी अक्षांश के बीच इनकी दो शाखाएं हो जाती है पूर्व शाखा चिली तट की ओर चली जाती है तथा पश्चिमी शाखा इस्टर्न आइसलैंड राइज के नाम से दक्षिण की ओर चली जाती है दूसरी प्रमुख कटक न्यूजीलैंड रीज है जो कि सागर तल से 200 से 2000 मीटर गहरा है ऑस्ट्रेलिया के ग्रेट बैरियर रीफ के पश्चिम में क्वींसलैंड पठार प्रमुख कटक है मध्य प्रशांत महासागर का सर्वाधिक महत्वपूर्ण कटक हवायन उभार है जो कि 960 किमी चौड़ाइ तथा 2640 किमी लंबाई में फैला है.

बेसिन – प्रशांत महासागर में अनेक बेसिन है जिनमें से कुछ महत्वपूर्ण निम्नलिखित है
एल्यूशियन द्वीप के उत्तर में एल्यूशियन बेसिन है, फिलीपाइन द्वीप समूह के पूर्व में फिलीपाइन बेसिन है, जो 5° उत्तरी अक्षांश से जापान से दक्षिण तक विस्तृत है यह 5000 से 6000 मीटर गहरा है, फिजी द्वीप के दक्षिण में फिजी बेसिन है जो 20° दक्षिण अक्षांश 32° दक्षिण अक्षांश तक विस्तृत है यह 4000 मीटर से अधिक गहरा है, पूर्वी ऑस्ट्रेलिया बेसिन, दक्षिण ऑस्ट्रेलिया बेसिन, पेरु-चिली बेसिन आदि.
महासागरीय गर्त – विश्व के कुल 57 गर्तों में से 32 गर्त प्रशांत महासागर में हैl इनमें से अधिकांश गर्त इस महासागर के पश्चिमी भाग में स्थित हैl जिनमेसे कुछ महत्वपूर्ण गर्त नीचे दिए गए हैं
एल्यूशियन गर्त – एल्यूशियन द्वीप समूह के निकट एल्यूशियन गर्त एक चाप की आकृति में फैला हुआ है इसकी औसत गहराई 6000 मीटर तथा अधिकतम गहराई 7782 मीटर है
क्यूराइल गर्त तथा जापान गर्त – जापान द्वीपों के समांतर 28- 50 डिग्री उत्तरी अक्षांशों के बीच 2725 किमी की दूरी तक विस्तृत है यह तट के बहुत निकट है और इसका अधिकांश भाग की केवल 150 किमी से भी कम दूरी पर हैl
फिलिपीन्स गर्त , मेरियाना गर्त 11033 मी.गहरा है मेरियाना गर्त विश्व का सबसे गहरा गर्त है, अटाकामा गर्त 7635 मी गहरा है
प्रशांत महासागर की गहराई कितनी है?
प्रशांत महासागर की गहराई 4572 मीटर है इसकी आकृति त्रिभुजाकार है
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