प्राचीन चिरसम्मत काल में यूनानी भूगोलवेत्ता तथा रोमल भूगोलवेत्ताओ के कार्य उल्लेखनीय हैl रोम नगर इटली प्रायद्वीप में स्थित थाl यहीं से रोमन सभ्यता का विकास हुआl इटली की प्रमुख नदी टाइबर नदी के किनारे रोम स्थित है. रोमन शासकों ने भूमध्यसागरीय क्षेत्रों पर अपना अधिकार कर लियाl इनका संपर्क एशिया से भी हो गया थाl इस दौरान उत्पन्न होने वाली भूगोलवेत्ता यूनान, मिश्र तथा एशिया माइनर में रहने वाले थेl लेकिन इन देशों के भूगोल नेताओं के कार्य एवं योगदान रोमन शासकों के अनुसार किए गए थे जिस कारण इन्हें रोमनकालीन भूगोलवेत्ता कहां जाता है रोमन विद्वानों में अधिक क्रियात्मकता थी उनका मुख्य उद्देश्य व्यापार, प्रशासन और सैनिक विजयों से थाl रोमन भूगोल वेताओं में स्ट्रैबो, टालमी, प्लिनी, पाम्पोनियस मेला आदि का योगदान सराहनीय है
स्ट्रैबो strabo 64 B.C. to 20 A.D.
रोमन विद्वानों में सबसे अधिक महत्वपूर्ण योगदान स्ट्रैबो का हैl इनका जन्म टर्की के आंतरिक भागों में स्थित अमीस्या नामक स्थान पर हुआ उन्होंने अलेक्जेंड्रिया में रहकर अनेक कार्य किए तथा यूनानी भाषा में प्रकाशित किया ये प्रमुख भूगोलवेत्ता थे जिन्होंने रोमन होते हुए भी यूनानी भाषा में ग्रंथ लिखेl प्रसिद्ध पुस्तक ज्योग्राफिया इनसाइक्लोपीडिया लिखी यह 17 अध्याय में लिखी हैl जिसमें तत्कालीन विश्व भूगोल ज्ञान को निबध्द किया है स्ट्रैबो ने 43 ग्रंथों की रचना की जो ऐतिहासिक स्मुर्तियो के रूप में निबध्द है
वह पहला विद्वान था जिसने गणितीय भूगोल, भौतिक भूगोल, मानव भूगोल, प्रादेशिक भूगोल, ऐतिहासिक भूगोल सहित लगभग संपूर्ण भूगोल का वर्णन किया यह नियतीवादी चिंतण का प्रमुख विचारक था उसने विसुवियस को जलता हुआ पर्वत कहा उन्होंने मानव बसाव के क्षेत्र को ओकुमेन कहा उन्होंने बहुचर्चित पुस्तक ज्योग्राफीका विश्व कोश में वर्णित किया वह पहला व्यक्ति था जिसने भूगोल को क्षेत्र वर्णन विज्ञान घोषित किया.
क्लाडिसर टॉलेमी cloudius ptolemeus 90 – 168 A.D
मिस्र के अलेक्जेंड्रिया के निवासी क्लाडिसर टॉलेमी को रोम साम्राज्य का सबसे विख्यात भूगोलवेत्ता माना जाता है टॉलेमी का शिक्षण कार्य अलेक्जेंड्रिया में ही पूर्ण हुआ टॉलेमी की रचनाओं से पता चलता है कि उनकी गणित, खगोल और भूगोल के अध्यापन कार्य में विशेष रूचि थी
टॉलेमी के महत्वपूर्ण ग्रंथ –
i ) गाइड टू ज्योग्राफी
ii ) अल्माजेस्ट
iii ) ग्रहीय सिद्धांत
iv एनेलिमा
टॉलेमी का विचार था कि पृथ्वी ठोस गोलाभ की भांति है जो चपटी नहीं है तथा लगभग गोल वस्तु के समान है टॉलेमी प्राचीन काल का ऐसा विद्वान था जिसने अक्षांश और देशांतर रेखाओं पर व्यवस्थित जाल निश्चित दूरियों के आधार पर खींचकर विश्व मानचित्र तैयार किया टोलमी का विश्व मानचित्र रूपांतरित शंक्वाकार प्रक्षेप पर बना हुआ है प्रथम बार विश्व मानचित्र पर वोल्गा नदी, बंगाल की खाड़ी गंगा के मुहाने, हिंद महासागर के दक्षिण में द्वीप ( जो वस्तुत: अंटार्कटिका है ) को दर्शाया है