हिन्द महासागर के नितल उच्चावच – यद्यपि हिंद महासागर प्रशांत तथा अंध महासागर की अपेक्षा बहुत ही छोटा है इसका क्षेत्रफल 7,34,25,500 वर्ग किमी हैl यह महासागर उत्तर में दक्षिण एशिया पूर्व में हिंदेशियाँ व ऑस्ट्रेलिया तथा पश्चिम में अफ्रीका महाद्वीप तथा अंटार्कटिका से घिरा हुआ है महासागर की औसत गहराई 4000 मीटर के आसपास है प्रमुख सीमांत सागरों में मोजम्बीक चैनल, अंडमान सागर, लाल सागर, फारस की खाड़ी आदि का उल्लेख किया जा सकता है द्वीप छोटे-बड़े सभी प्रकार के मिलते हैं उदा. मालागासी, श्रीलंका, सोकोत्रा, जंजीबार, अंडमान और निकोबार द्वीप आदिl
मग्नतट : हिंद महासागर के केवल 4.2 प्रतिशत भाग पर ही महाद्वीपीय मग्नतट है अरब सागर तथा बंगाल की खाड़ी में सबसे अधिक जोड़ा मग्नतट पाया जाता है जहां इसकी अधिकतम चौड़ाई 640 किमी है मेडागास्कर द्वीप के निकट यह अधिक चौड़ा हो जाता है उत्तर में जावा एवं सुमात्रा तथा दक्षिण में ऑस्ट्रेलिया के तट के निकट मग्नतट की औसत चौड़ाई 160 किमी हैl
कटक : अंध महासागर की भांति हिंद महासागर में भी एक मुख्य घटक है जो इस महासागर के मध्य में इसके उत्तर से दक्षिण की ओर फैला हुआ है भारत के दक्षिनी सिरे से आरंभ होता है और लक्ष्यदीप चागोस कटक के नाम से जाना जाता है मालदीव तथा लक्ष्यदीप नामक द्वीप इसी कटक पर स्थित है भूमध्य रेखा एवं 30° दक्षिण अक्षांश के मध्य इसका नाम चोगोस सेंट पॉल कटक हो जाता है जिसकी चौड़ाई भी 320 किमी है फिर यह दक्षिण जाने पर 30° से 50° दक्षिणी अक्षांशों के मध्य इस कटक की चौड़ाई 1600 किमी हो जाती है इसे एम्सटर्डम सेंट पॉल पठार के नाम से संबोधित किया हैl 50° द अक्षांश के दक्षिण में इस कटक की दो शाखाएं हो जाती है पश्चिम में करगुलेन गासबर्ग कटक 48° से 63° दक्षिणी अक्षांशों के मध्य विस्तृत है पूर्व शाखा इन्डियन अंटार्कटिका कटक के नाम से भी जाना जाता है यहां और भी कटक है सोकोत्रा, चैगोस कटक मालागासी कटक, कार्ल्सबर्ग कटक आदि
महासागरीय द्रोणी : मध्यवर्ती कटक हिंद महासागर को पूर्व तथा पश्चिम दो प्रमुख द्रोनिया में विभाजित करता है मध्यवर्ती कटक की शाखाएं इन दो द्रोनियाँ को पुनः कई छोटी-छोटी द्रोहियों में विभक्त किया है जैसे ओमान द्रोणी, अरेबियन द्रोणी, सोमाली द्रोणी मॉरीशस द्रोणी, अंडमान द्रोणी तथा भारत-ऑस्ट्रेलिया द्रोणी आदि
महासागरीय गर्त : हिंद महासागर की तली के क्षेत्रफल का लगभग 60% भाग अगाध सागरीय मैदान के रूप में है परिणाम स्वरूप गर्तों की संख्या कम ही पाई जाती है जावा के दक्षिण में सुडान गर्त ही है जिसकी गहराई 8,152 मीटर हैl इस प्रकार हिन्द महासागर के नितल उच्चावच है
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